जननायक कर्पूरी ठाकुर की जीवनी
कर्पूरी ठाकुर (1924-1988) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और बिहार राज्य के नेता थे। उन्होंने लगातार दो कार्यकाल तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। ठाकुर को सामाजिक न्याय पर जोर देने और समाज के हाशिये पर पड़े वर्गों के उत्थान के प्रयासों के लिए जाना जाता था।
कर्पूरी ठाकुर के बारे में कुछ मुख्य बातें: जननायक कर्पूरी ठाकुर की जीवनी
1. **जन्म और शिक्षा:**
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के पितौंझिया गाँव में हुआ था। उनकी शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के जिला स्कूल से शुरू हुई। बाद में वे बिहार के एस. के. झा कॉलेज से ग्रेजुएशन करेंगे।
2. **राजनीति में कदम:**
उनका राजनीतिक प्रवेश देशरत्न यादव के सहयोगी के रूप में हुआ। बाद में और कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए, लेकिन समय के साथ-साथ, उन्हें जनता दल के साथ जुड़कर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करनी पड़ी।
3. **मुख्यमंत्री के रूप में:**
कर्पूरी ठाकुर ने दो बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी क्षमायाचना दिखाई। पहली बार उन्हें 1970 में, और दूसरी बार 1977 में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर। उनका ये अध्यक्ष बनना, उनके सामाजिक न्याय के लिए किये गये प्रयासों के कारण हुआ।
4. **आरक्षण और सामाजिक न्याय:**
उनका एक महत्व पूर्ण क्षेत्र आरक्षण था। ठाकुर ने समाज में पिछड़े वर्ग और आदिवासियों को आरक्षण प्रदान करके उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए काई कदम उठाए। बेहतर शिक्षा और रोजगार में आरक्षण की शुरुआत की, जो आज भी एक महत्व पूर्ण मुद्दे पर है।
5. **निषेध (शराबबंदी):**
कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में शराब बंदी का प्रस्ताव लाया, जो उन्हें "जनता के गांधी" के नाम से मशहूर किया गया। उनका ये कदम उनके सामाजिक दर्शन और उनके संघर्ष भरे जीवन की एक प्रतिभा थी।
6. **लोकप्रिय नेता:**
ठाकुर लोकप्रिय नेता थे, जिन्हे लोग अपने सामाजिक न्याय के कार्य के लिए जानते थे। उनके समाज सेवा के क्षेत्र में किये गये कार्यों ने उन्हें जनता के दिलो-दिमाग में स्थिरता दिलायी।
7. **समय के साथ वृद्धि:**
कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन में कोई संघर्ष देखा, लेकिन उनका साहस और संवेदनात्मक राजनीति दृष्टि ने उन्हें एक लोकप्रिय नेता बनाया।
8. **निधान:**
ठाकुर साहब का निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ। उनका देहांत एक बड़ा झकझोर बिहार के राजनीति और सामाजिक मंच पर हुआ।
कर्पूरी ठाकुर, अपने सामाजिक न्याय और संवेदनाशील राजनीति के कारण याद किये जाते हैं। उनकी प्रतिभा और देश के लिए किये गये योगदान ने उन्हें एक लोकप्रिय नेता बनाया। आज भी, उनकी सोच और उनकी विरासत बिहार की राजनीति में महत्व पूर्ण है।